मां अन्नपूर्णा की कृपा

 मां अन्नपूर्णा की कृपा


भोजन को भगवान का प्रसाद माना जाता है। कभी भी हमें अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए। वास्तु शास्त्र में भोजन बनाने से लेकर भोजन ग्रहण करने तक के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी और सदैव भंडार भरे रहेंगे। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में। 

रसोई घर को बहुत स्वच्छ रखना चाहिए। बिना स्नान किए भोजन नहीं बनाना चाहिए। माना जाता है कि बिना स्नान किए भोजन बनाने से यह अपवित्र हो जाता है। भोजन को स्नान, ध्यान कर खुशी मन से बनाना चाहिए। जो व्यक्ति भोजन बना रहा है उसके ठीक पीछे दरवाजा न हो। यदि ऐसा है तो उस व्यक्ति को थोड़ा इधर-उधर हो जाना चाहिए। यदि संभव हो तो रसोईघर में पूर्व की ओर खिड़की या रोशनदान बनवाएं। भोजन बनाने के बाद उसे भगवान का भोग समझ कर उन्हें अर्पित करें फिर प्रसाद मानकर स्वयं ग्रहण करें। भोजन बनाते समय मुख हमेशा पूर्व दिशा में रखें। पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर भोजन बनाने से परिवार के सदस्यों को त्वचा और हड्डी से जुड़े रोग पैदा होने की आशंका रहती है। घर में धन नहीं टिकता है तो उत्तर दिशा की ओर मुख कर भोजन करें। घर के मुखिया को हमेशा उत्तर दिशा में ही मुख कर भोजन करना चाहिए। भोजन करने से पूर्व अपने ईष्ट देव को भोग अवश्य लगाएं। एक रोटी गाय के लिए निकालें। ऐसा करने से घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आती है। परिवार में सभी स्वस्थ्य रहते हैं। जूठे बर्तनों को बहुत देर तक रसोई घर में न रखें। इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। अगर डायनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं तो याद रहे कि इसे कभी भी खाली ना छोड़ें। कोई भी खाने की सामग्री इस पर अवश्य रखें। भोजन करते समय टीवी या मोबाइल का प्रयोग न करें, ऐसा करने से भी अन्न का अनादर होता है। भोजन करने के बाद संबंधित स्थान और डायनिंग टेबल को साफ कर देना चाहिए। भोजन करने के बाद अग्निदेव और माता अन्नपूर्णा को धन्यवाद दें।


GURUDEV SANTOSH TRIPATHI

आम इंसान की समस्‍याओं और चिंताओं की नब्‍ज पकड़कर बाजार में बैठे फर्जी बाबा और ढोंगी लोग ज्‍योतिष के नाम पर ठगी के लिए इस प्रकार के दावे करते हैं। ज्‍योतिष विषय अपने स्‍तर पर ऐसा कोई दावा नहीं करता।

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