अंक ज्योतिष- मूलांक 1
जिनका जन्म 1, 10, 19 या 28 तारीख को किसी भी माह में हुआ है उनका मूलांक 1 है। अंक 1 पर सूर्य का आधिपत्य है।
ग्रहों में जिस प्रकार सूर्य अग्रणी, दैदीप्यमान, ग्रहराज व ग्रहाधिपति हे, उसी प्रकार मूलांक 1 के व्यक्ति घर-गृहस्थी में, व्यावसायिक प्रतिष्ठान में, नौकरी, सामाजिक व धार्मिक क्षेत्रों में नेतृत्व करने वाले होते हैं। अति महत्वाकांक्षी, आकर्षक व सुन्दर, स्वकार्य में दक्ष, कार्य पटु, विचार प्रधान, त्वरित और सही निर्णय लेने में दक्ष, सतत क्रियाशील, कर्मप्रधान, अपने आदर्शों का निर्वाह करने वाले, बात के धनी, स्वनिर्णय पर अडिग एवं सैद्धान्तिक होते हैं।
विवेचना
स्वामी ग्रही- सूर्य।
विशेष प्रभावी- 21 जुलाई से 28 अगस्त के मध्य।
शुभ तारीखें- 1, 10, 19, 28।
सहायक तारीखें- 2, 11, 20, 29 एवं 4, 13, 22, 31 तथा 7, 16, 25।
सहायक शुभ वर्ष- 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65, 74 एवं 4, 13, 22, 31, 40, 49, 58, 67 तथा 7, 16, 25, 34, 43, 52, 61, 70।
सर्वोत्तम वर्ष- 1, 10, 19, 28, 37, 46, 56, 64, 73।
उत्तम दिन- रविवार, सोमवार। शुभ रंग- हरा, भूरा, पीला, सुनहरा।
शुभ रत्न- माणिक्य।
राशि- सिंह।
धातु- स्वर्ण, तांबा, दिशा- पूर्व।
मित्र अंक- 2, 7, 5।
सम अंक- 3, 9, 4।
शत्रु अंक- 6, 8।
तत्व- अग्नि।
रोग- हृदय की कमजोरी, रक्तदोष, रक्तचाप, स्नायु निर्बलता, नेत्र दोष।
पाठ- आदित्य हृदय स्तोत्र।
उपासना- सूर्य की।
व्रत- रविवार।
दान पदार्थ- माणिक्य, स्वर्ण, ताम्र, गुड़, घी, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, रक्त चंदन एवं गाय।
विवाह करना उत्तम- 14 जून से 15 जुलाई, 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर, 15 नवम्बर से 18 दिसम्बर, 18 मार्च से 15 अप्रैल के मध्य जन्मे जातक से।
व्यवसाय- आभूषण, जौहरी कार्य, स्वर्णकारिता, विद्युत, चिकित्सा, नेतृत्व, स्पोर्टस वस्तु, अग्नि, सेवा कार्य, सैन्य विभाग व प्रशासन।
अनुकूल दिशा- उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, पश्चिम।
प्रतिकूल दिशा- दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम।
शुभ मास- जनवरी, मार्च, मई, जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर व दिसम्बर।
अंक ज्योतिष- मूलांक 2
जिनका जन्म 2, 11, 20, 29 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक 2 है। इस अंक का प्रतिनिधित्व चंद्रमा ग्रह करता है जो मन का भी स्वामी है।
इस कारण इस मूलांक के व्यक्ति भावुक, संवेदनशील, चंचल और अनिश्चिय की स्थिति में रहने वाले होते हैं। इनके ऊपर आजीवन कार्याधिकता का बोझ पड़ा रहता है। इनमें मौलिक प्रतिभा, अनुभूति व समझ खूब होती है परन्तु भौतिक दृष्टि से ये पूर्ण सफल नहीं होते हैं। कोई विचार लम्बे समय तक इनके मस्तिष्क में नहीं रह सकता। वैचारिक परिवर्तन इनकी विशेषता है। जीवन में एक ही कार्य से संतुष्ट न रहकर ये बदल-बदल कर जीवन यापन के साधन अपनाते रहते हैं।
विवेचना
स्वामी ग्रह- चंद्रमा।
विशेष प्रभावी- 20 जुलाई से 21 अगस्त के मध्य जन्म लेने वाले जातक।
अत्यंत शुभ तिथियां- 2, 11, 20, 29।
मध्यम फलदायी तिथियां- 4, 13, 22 31 एवं 3, 16, 25।
सर्वोत्तम वर्ष- 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65।
मध्यम वर्ष- 4, 13, 22, 31, 40, 49, 58, 67 एवं 7, 16, 25, 34, 43, 52, 61, 70।
शुभ दिन- सोमवार, शुक्रवार, रविवार।
सर्वोत्तम दिन- सोमवार।
शुभ रंग- सफेद, कर्पूरी, धूप-छांव, अंगूरी तथा हल्का हरा रंग।
अशुभ रंग- लाल, काला, नीला।
शुभ रत्न- मोती, चंद्रकांता मणि, स्फटिक, दूधिया।
प्रभावित अंग- फेफड़े, छाती, हृदय, वक्षस्थल, जिह्वा, तालु, रक्त संचार।
रोग- हृदय और फेफड़े संबंधी, अपच, डिप्थीरिया, दार्इं आंख, निद्रा, अतिसार, जीभ पर छाले, रक्ताल्पता, गुर्दे संबंधी रोग, वीर्य दोष, मासिक धर्म में बाधा, जलोदर, आंत रोग, स्तन में गिल्टियां, कुंठा, उद्वेग।
विवाह शुभता- 15 मई से 14 जून, 15 अक्टूबर से 14 नवम्बर, 15 फरवरी से 14 मार्च के मध्य उत्पन्न जातक से।
शुभ मास- फरवरी, अप्रैल, जून, सितम्बर, नवम्बर।
व्यवसाय- द्रव्य पदार्थ, तैतीय कार्य, पर्यटन, एजेंट, फल-फूल, दूध-दही, संपादन, लेखन, अभिनय, नृत्य, ठेकेदारी, चिकित्सा, रत्नों का व्यवसाय, दंत चिकित्सा, पशुपालन।
शुभ दिशा- उत्तर, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम।
अशुभ दिशा- दक्षिण-पूर्व, पश्चिम।
दान पदार्थ- मोती, स्वर्ण, चांदी, कपूर, श्वेत वस्तु, पुस्तक, धार्मिक ग्रंथ, मिश्री, दूध, दही, श्वेत।
अंक ज्योतिष- मूलांक 3
जिनका जन्म 3, 12, 21, 30 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक 3 है। इनके जीवन का प्रतिनिधित्व देवगुरु वृहस्पति करते हैं।
इनके जीवन पर धन, शिक्षा, आय, संतान का कारक बनकर गुरु वृहस्पति अधिकार जमाए रहते हैं। गुरु ग्रह की कृपा से इनके अंदर दैवीय गुणों का अम्बार होता है। ये घोर महत्वाकांक्षी होते हैं। उन्नति के शिखर पर पहुंचने की अभिलाषा संजोए रहते हैं। नेतृत्व के गुण विद्यमान होते हैं। सिद्धान्तवादी होते हैं। साहस, शक्ति, दृढ़ता, निर्मलता के धनी, सहिष्णुता के पक्षधर होते हैं। जाति, समाज, देश, सेना व राजनीति में ज्यादा सफल होते हैं।
विवेचना
स्वामी- देवगुरु वृहस्पति।
विशेष प्रभावी- 19 फरवरी से 21 मार्च के मध्य उत्पन्न जातक।
शुभ तिथियां- 3, 12, 21, 30।
सहायक तिथियां- 6, 15, 24 एवं 9, 18, 27।
शुभ वर्ष- 3, 12, 21, 30, 39, 48, 57, 66, 75।
सहायक वर्ष- 6, 15, 24, 33, 42, 51, 60, 69 एवं 9, 18, 27, 36, 45, 54, 63, 72।
शुभ दिन- गुरुवार, शुक्रवार, मंगलवार।
श्रेष्ठ दिन- गुरुवार।
शुभ रंग- पीला, चमकीला, गुलाबी, हल्का जामुनी।
उन्नत समय- मार्च, जून, सितम्बर, 19 फरवरी से 20 मार्च व 20 नवम्बर से 21 दिसम्बर।
निर्बल समय- 7, 16, 23 तिथियां व जनवरी, जुलाई माह।
शुभ रत्न- पीला पुखराज।
प्रभावित अंग- जंघा और उसके आसपास के अवयव।
रोग- चर्मरोग, स्नायु दुर्बलता, गुप्त रोग, भोग से अरुचि, रक्त दोष, वायु प्रकोप, मधुमेह, ज्वर, खांसी।
देव- विष्णु।
व्रत-पूर्णिमा।
दान- पुखराज, पीला कपड़ा, पुस्तक, चने की दाल, नींबू, नारंगी, कांस्य पात्र, शंख, चीनी, घी, हल्दी।
विवाह संबंध- 15 दिसम्बर से 14 जनवरी, 15 मार्च से 14 अप्रैल, 15 नवम्बर से 14 दिसम्बर व 15 अप्रैल से 14 मई के मध्य उत्पन्न जातक से।
व्यवसाय- वस्त्र, भोजनालय, धर्मोपदेश, लेखन, संपादन, कानूनी सलाहकार, व्याख्याता, वकील, क्लर्क, चिकित्सा कार्य, दलाली, आढ़त, विज्ञापन, अभिनय, जल जहाज कार्य, पुलिस विभाग, दार्शनिक, प्रबंधन व जलीय व्यापार।
शुभ दिशा- दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व, उत्तर- पश्चिम।
अशुभ दिशा- ईशान कोण। धातु- सुवर्ण।
अंक ज्योतिष- मूलांक 4
जिनका जन्म 4, 13, 22, 31 तारीख को हुआ है उनका मूलांक 4 है। इस मूलांक के व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व हर्षल ग्रह करता है।
ये लोग निरंतर क्रियाशील रहते हैं। इनके जीवन में बार-बार उतार-चढ़ाव आता रहता है। ये लोग कभी बहुत संपन्न तो कभी बहुत विपन्न भी देखे गए हैं। धन का गमनागमन, उन्नति-पतन, यश-अपयश, जय-पराजय, हानि-लाभ, सौभाग्य-दुर्भाग्य इत्यादि इनके जीवन में आता-जाता रहता है। ये नवीनता के उपासक और प्राचीन रूढ़िवादिता के भंजक होते हैं। ये पूर्णरूप से सामाजिक होते हैं और उसका निर्वहन करते हैं।
विवेचना
स्वामी ग्रह- हर्षल।
शुभ समय- 21 जून से 30 अगस्त।
निर्बल समय- अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर।
शुभ तिथियां- 4, 13, 22, 31।
सहायक तिथियां- 2, 11, 20, 29।
शुभ वर्ष- 4, 13, 22, 31, 40, 45, 58, 67।
सहायक वर्ष- 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65, 74।
शुभ दिन- रविवार, सोमवार, शनिवार।
सर्वोत्तम दिन- शनिवार।
शुभ रंग- धूप-छांव, नीला, भूरा, चटक रंग।
रत्न- नीलम।
रोग- रक्तदोष, संक्रामक रोग, पशु से आघात।
प्रभावित अंग- पिंडलियां व श्वास क्रिया।
देव-गणपति।
व्रत- गणेश चतुर्थी।
दान- लाल पदार्थ व खाद्यान्न।
विवाह संबंध- 15 जुलाई से 15 अगस्त, 15 मई से 14 जून तथा 15 अक्टूबर से 18 नवम्बर के मध्य जन्मे जातक से।
व्यवसाय- शराब, स्प्रिट, तेल, कैरोसिन, पारा, इत्र, रेल विभाग, वायु सेना, टेक्नीशियन, इंजीनियरिंग, रंगसाजी, छापे का कार्य, टेलीफोन आपरेटर, पत्रकारिता, शिल्प कार्य, विद्युत कार्य, भाषण, उपदेशक, राज्यकर्मचारी, ठेकेदारी।
शुभ दिशा- दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम।
अशुभ दिशा- उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व। धातु- लौह।
अंक ज्योतिष- मूलांक 5
जिनका जन्म 5, 14, 23 तारीख को हुआ है उनका मूलांक 5 है। इनके जीवन का प्रतिनिधित्व बुध ग्रह करता है।
ये विलक्षण तार्किक बुद्धि के होते हैं। इनको प्रभावित करना कठिन है। मित्र बनाने में इनका कोई शानी नहीं है। ये आजीवन मित्रता का निर्वहन करने वाले होते हैं।
नित्य नई सूझ-बूझ, युक्तियां, विचार, तर्क, कल्पनाएं संजोने में ये सिद्धहस्त होते हैं। सतत क्रियाशीलता इनका गुण है। ये विचार प्रधान व्यक्ति होते हैं। शरीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम ज्यादा करते हैं। साहस, हिम्मत और आत्मविश्वास के बल पर जीने वाले होते हैं। ये नौकरी की अपेक्षा व्यवसाय में ज्यादा सफल होते हैं।
विवेचना
स्वामी ग्रह– बुध।
श्रेष्ठ प्रभाव– 21 मई से 22 जून तथा 21 अगस्त से 20 सितम्बर के मध्य उत्पन्न जातक।
श्रेष्ठ तारीखें- 5, 14, 23।
उन्नत समय- 21 मई से 21 जून, 21 अगस्त से 20 सितम्बर।
निर्बल समय- मई, सितम्बर, दिसम्बर।
शुभ दिन- बुध, सोम, गुरु, शुक्र।
सर्वोत्तम दिन- बुधवार।
शुभ रंग- हल्का खाकी, सफेद, चमकीला, उज्ज्वल, हरा।
शुभ रत्न- पन्ना।
रोग- फ्लू, लू लगना, जुकाम, स्नायु निर्बलता, मस्तिष्क रोग, ब्लडप्रेशर, चर्मरोग।
श्रेष्ठ वर्ष- 5, 14, 23, 32, 41, 50, 59, 68।
देव- भगवान लक्ष्मीनारायण।
व्रत- पूर्णिमा, रविवार।
दान पदार्थ- पन्ना, स्वर्ण, मूंगा, कांस्य पात्र, हरा वस्त्र, घृत, शक्कर, कर्पूर, हाथी दांत, पंचरत्न।
विवाह श्रेष्ठता- 15 अगस्त से 14 सितम्बर, 15 मार्च से 15 अप्रैल व 15 जनवरी से 14 फरवरी के मध्य जन्मे जातकों से।
मित्र अंक- 1, 3, 4, 5, 7, 8।
शत्रु अंक- 2, 6, 9।
व्यवसाय- तार, टेलीफोन विभाग, ज्योतिष, सेल्समैन, बीमा, बैंकिंग, बजट, निर्माण, रेलवे, इंजीनियरिंग, संपादन, तम्बाकू, लेखन, पत्रकारिता, राजनीति, पुस्तक, ट्रांसपोर्ट, पर्यटन आदि।
अनुकूल दिशा- उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम।
अशुभ दिशा- दक्षिण-पश्चिम।
धातु- सुवर्ण, प्लेटिनम।
अंक ज्योतिष- मूलांक 6
जिनका जन्म 6, 15, 24 तारीख को किसी महीने में हुआ है उनका मूलांक 6 है। इनके जीवन का प्रतिनिधित्व शुक्र ग्रह करता है।
ये स्वाभिमानी, श्रृंगारप्रिय, सुरतिप्रिय, गंभीर, शांत, विश्वासपात्र, उदार और वफादारी से परिपूर्ण होते हैं। दाम्पत्य जीवन सामान्य मधुर रहता है। सदैव प्रसन्न रहने वाले, सुन्दर एवं सुन्दरता के पुजारी, स्वस्थ सुन्दर देह के धनी, पतले, वस्त्राभूषण प्रेमी, दीर्घायु, शक्तिमान और सम्मोहन करने में सिद्धहस्त होते हैं। अतिथि सत्कार में आगे रहते हैं। सांसारिक होते हुए भी चतुर नीतिवान होते हैं। कार्य करने से पहले हानि-लाभ, यश-अपयश, जय-पराजय, सुख-दु:ख, नीति-अनीति के बारे में खूब समझ रखने वाले होते हैं।
विवेचना
स्वामी ग्रह- शुक्र।
शुभ तिथियां- 6, 15, 24।
महत्वपूर्ण समय- 20 अप्रैल से 24 मई, 21 सितम्बर से 24 अक्टूबर।
सहायक तिथियां- 3, 12, 21, 30 व 9, 18, 27।
महत्वपूर्ण वर्ष- 6, 15, 24, 33, 42, 51, 60, 69।
सहायक वर्ष- 3, 12, 21, 30, 39, 48, 57, 66, 75 तथा 9, 18, 27, 36, 45, 54, 63, 72वां वर्ष।
निर्बल समय- अप्रैल, अक्टूबर, नवम्बर।
शुभ दिन- शुक्रवार, मंगलवार, गुरुवार।
सर्वाधिक शुभ – शुक्रवार।
शुभ रंग- हल्का नीला, आसमानी, गहरा नीला, गुलाबी, चाकलेटी।
अशुभ रंग- काला, लाल।
शुभ रत्न- हीरा।
शुभ धातु- सुवर्ण।
रोग- फेफड़े संबंधी, धातु क्षीणता, मूत्र रोग, स्नायु निर्बलता, कफ, जुकाम, कब्जियत।
देव- कार्तवीर्यार्जुन।
स्त्री देव- संतोषी माता।
दान पदार्थ- हीरा, स्वर्ण, चांदी, चावल, मिश्री, श्वेत वस्त्र, चंदन, सुगन्धित द्रव्य।
विवाह संबंध- 15 फरवरी से 15 मार्च, 15 मई से 14 जून, 15 अक्टूबर से 18 नवम्बर व 15 अप्रैल से 14 मई के मध्य जन्मे जातको से। मित्र अंक- 2, 4, 9। शत्रु अंक- 1, 3, 5, 7, 8।
व्यवसाय- होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा, महाजनी कार्य, संगीत, वाद्य, लेखन, नाट्य, वस्त्र व्यवसाय, बागवानी, अभिनय, श्रृंगार प्रसाधन, रेशम, मिष्ठान, साहित्य, सार्वजनिक कार्य, समाज सेवा, यातायात इत्यादि।
श्रेष्ठ दिशा- पश्चिम, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम।
प्रतिकूल दिशा- दक्षिण पश्चिम।
अंक ज्योतिष- मूलांक 7
जिनका जन्म 7, 16, 25 तारीख को किसी महीने में हुआ है उनका मूलांक 7 है। इनके जीवन का प्रतिनिधित्व नेपच्यून ग्रह करता है।
इनके व्यक्ति में अनेकानेक खूबियां होती हैं। इनका व्यक्तित्व सैकड़ों- हजारों लोगों में पहचाना जा सकता है। परिवर्तन इनको प्रिय है। ये नित्य नवीनता के समर्थक होते हैं। इनकी निर्मित योजनाएं शायद ही कभी असफल हों। साहित्य, संगीत, ललित कला या चित्र कला में ये ख्याति अर्जित करते हैं। मौलिकता इनका अनन्य गुण है। धन की अपेक्षा मान-सम्मान का ये ज्यादा ख्याल रखते हैं। इनमें अद्भुत गुणों का समावेश होता है। ये धर्मभीरु, परोपकारी, स्नेही, ठंडे मिजाज वाले, सहिष्णु, सौम्य, सरलचित्त, साहसी, कल्पनाप्रिय, दार्शनिक, अच्छे विचारक और विज्ञान प्रेमी होते हैं। योगसिद्धि, साधना, चिंतन, मनन ही इनका उद्देश्य होता है।
विवेचना
स्वामी ग्रह- नेपच्यून।
शुभ तारीखें- 7, 16, 25।
सहायक तारीखें- 2, 11, 20, 29 एवं 1, 10, 19, 28 तथा 4, 13, 21, 31।
शुभ समय- 21 जून से 25 जुलाई।
शुभ वर्ष- 7, 16, 25, 34, 43, 52, 61, 70वां वर्ष।
सहायक वर्ष- 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65, 74 तथा 1, 10, 19, 37, 46, 55, 64, 73 एवं 4, 13, 22, 31, 40, 49, 58, 67।
निर्बल समय- जनवरी, फरवरी, जुलाई, अगस्त।
शुभ दिन- रविवार, सोमवार, बुधवार।
सर्वोत्तम दिन- सोमवार।
शुभ रंग- हरा, हल्का पीला, सफेद, चमकीला।
शुभ रत्न- हीरा, लहसिनया।
शुभ धातु- स्वर्ण।
रोग- संक्रमण रोग, पसीने की अधिकता, आमाशय दोष, कब्ज, भूख न लगना, अनिद्रा, घबराहट, वातरोग, मंदाग्नि, कफ, रक्त विकार।
इष्ट देव- नृसिंह भगवान।
व्रत- सोमवार।
दान पदार्थ- सोना, लोहा, पंचधातु, जूता, सप्तधान्य, तेल।
व्यवसाय- तैराकी, अभिनय, फिल्म, वायुसेना, पर्यटन, ड्राइवरी, जलयान का कार्य, मेडिसिन, चिकित्सा, कृषि, सर्जरी, प्लास्टिक, ललितकला, तरल पदार्थ, कूटनीतिक कार्य, खनिज एवं अनुवादक का कार्य इत्यादि।
अनुकूल दिशा- दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पूर्व।
प्रतिकूल दिशा- उत्तर-पश्चिम।
अंक ज्योतिष- मूलांक 9
जिनका जन्म 9, 18, 27 तारीख में किसी भी माह में हुआ है उनका मूलांक 9 है। इनके जीवन का प्रतिनिधित्व मंगल ग्रह करता है।
ये मान-सम्मान, मर्यादा व चरित्र पर ज्यादा बल देते हैं। कार्य के प्रति धुन के पक्के, स्वभावत: कुछ क्रोधी, अलग व्यक्तित्व वाले प्राणी होते हैं। झुकना नहीं जानते और सामने वाले को झुकाना इन्हें प्रिय होता है। अनुशासित जीवन इनकी सबसे बड़ी विशेषता है। दाम्पत्य जीवन बहुत उत्तम नहीं होता। ये भाग्य के स्वयं निर्माता और कर्ता-धर्ता होते हैं। पूर्वजों की चली आई संस्कृति और सभ्यता के प्रति इनके मन में मोह होता है।
विवेचना
ग्रह स्वामी- मंगल।
श्रेष्ठ समय- 21 मार्च से 27 अप्रैल, 21 अक्टूबर से 27 नवम्बर।
श्रेष्ठ तिथियां- 9, 18, 27।
श्रेष्ठ वर्ष- 9, 18, 27, 36, 45, 54, 63, 72।
अनुकूल तिथियां- 3, 12, 21, 30 एवं 6, 15, 24।
अनुकूल वर्ष- 3, 12, 21, 30, 39, 48, 57, 66, 75 एवं 6, 15, 24, 33, 42, 51, 60, 69।
निर्बल समय- मार्च, मई, जून तथा 18 नवम्बर से 31 दिसम्बर।
विपरीत तिथियां- 1, 10, 19, 28।
शुभ दिन- मंगलवार, गुरुवार, शुक्रवार।
शुभ रंग- लाल, गुलाबी।
शुभ रत्न- मूंगा।
धातु- सुवर्ण।
रोग- रक्तचाप, दुर्घटना, चोट, शरीरिक शिथिलता, हृदय रोग।
देव- हनुमान जी।
व्रत- मंगलवार।
दान पदार्थ- मूंगा, स्वर्ण, गेहूं, रक्त चंदन, लाल वस्त्र, गुड़, घी, कनेर पुष्प, केशर।
विवाह संबंध- 15 अक्टूबर से 14 दिसम्बर तथा 15 मई से 14 जून के मध्य जन्मे जातकों से।
अनुकूल अंक- 1, 2, 3, 4, 6, 7। प्
रतिकूल अंक- 5, 8।
व्यवसाय- संगठन, संघ संचालन, नियंत्रण, चिकित्सा, ज्योतिष, धर्मोपदेश, सैन्य विभाग, गोला-बारूद, वकालत, औषधि कार्य, धातु कार्य आदि।
अनुकूल दिशा- पूर्व, उत्तर-पूर्व। प्
रतिकूल दिशा- दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम।
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