नाथ और सिद्धों में क्या अंतर है- 9 नाथ और 84 सिद्ध कौन हैं

 


प्राचीन नाथ सम्प्रदाय को गुरु गोरखनाथ और उनके गुरु मछेन्द्र नाथ ने संगठित किया।

नाथ कौन सा धर्म है। 9 नाथ और 84 सिद्ध कौन हैं

नाथ सम्प्रदाय भारत के हिन्दू धर्म का ही एक पन्थ है। नाथों को योगी, जोगी, गोस्वामी, गिरी, दसनामी आदि नामों से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म मुख्यत: 4 मतों में विभाजित है।

  • शैव:- इस मत का अनुसरण करने वाले भगवान शिव को ईश्वर मानते हैं।
  • वैष्णव:- इस मत का अनुसरण करने वाले भगवान् विष्णु को ईश्वर मानते हैं।
  • शाक्त :- इस मत का अनुसरण करने वाले देवी को परमशक्ति मानते हैं।
  • स्मार्त :- इस मत का अनुसरण करने वाले ईस्वर के कई रूपों को एक समान ही समझते हैं।

हिन्दू धर्म के इस विभाजन का पता नहीं चल पाता क्युकी हिन्दू धर्म में कट्टरवाद नहीं है। एक ही परिवार के 6 लोग 6 अलग अलग ईस्वर का अनुसरण कर सकते हैं। एक नास्तिक होकर भी हिन्दू हुआ जा सकता है ।

किसी भी अन्य धर्म के अनुयायी एक किताब विशेष का अनुशरण करते हैं किसी व्यक्ति विशेष का अनुशरण करते हैं परन्तु हिन्दुओ ने कई ऋषिओं कई ग्रंथों को अपनाया हुआ है। वेदो, पुराणों, उपनिषदों को अपनाया है।

नाथ हिन्दू धर्म के शैव मत का अनुसरण करते हैं। इनकी साधना पद्धति हठयोग है। शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य माने गए हैं। नाथ सम्प्रदाय समस्त भारत में फैला हुआ था।

नाथ सम्प्रदाय के कुछ सदस्यों का मानना है की आदिगुरु (भगवान शिव) इस सम्प्रदाय के पहले गुरु थे। कुछ परम्पराओं में माना जाता है की गुरु मछेन्द्रनाथ को शिक्षा सीधे भगवान शिव से मिली है जबकि कुछ परम्पराओं में गुरु गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है।

नाथों में कुछ प्रसिद्ध नाथ इस प्रकार हैं

मछंदरनाथ – ये गोरखनाथ जी के गुरु थे इसलिए इनको दादा गुरु कहा जाता है। इनको माया सवरूप भी कहा जाता है।

गोरखनाथ – इनको भगवान् शिव का अवतार माना जाता है। ये नवनाथों में सबसे अधिक प्रसिद्ध थे।

जालंधरनाथ – इनका सम्बन्ध पंजाब के जालंधर से था और कई ग्रंथो के अनुसार इन्होने 13वीं शताब्दी में बंगाल की यात्रा की।

कान्हापाद – इनका सम्बन्ध बंगाल से बताया जाता है। 14वीं शताब्दी में नाथ सम्प्रदाय के भीतर ही इन्होने उप- परम्परा की शुरुआत की।

गणिनाथ – विक्रम संबत 1060 में ये राजा बने थे और यवनो को हराया था । भारत सरकार ने 2018 में इनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया था।

भतृहरि – ये नाथ सम्प्रदाय से जुड़ने से पूर्व उज्जैन के सम्राट और प्रसिद्ध सम्राट विक्रमादितीय जिनके नाम से विक्रम संबत चलता है उनके भाई थे।

चौरंगीनाथ – बंगाल के राजा देवपाल के पुत्र थे, इनकी सौतेली माता लूना से अनबन के कारण इनके पिता देवपाल ने इनके हाथ पैर कटवाकर जंगल में छोड़कर दंडित किया। उन्हें गोरखनाथ ने बचाया था और उन्होंने इनको योग विद्या सिखाई थी जिससे इन्होने अपने कटे हुए अंगो को फिर से बिकसित कर लिया था।

चरपटीनाथ – हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में हिमालय की गुफाओं में रहते थे।

नागनाथ (महार्षि पंतजलि) – आदिनाथ दृस्टि से ये दावा किया जाता है कि महर्षि पतंजलि भी नाथों से संबंध रखते थे

गोपीचंद – बंगाल की रानी मायावती के पुत्र थे तथा इनके गुरु जालंधरनाथ माने गए हैं।

रतननाथ – ये नाथ और सूफी सम्प्रदाय दोनों में प्रसिद्ध हैं।

धर्मनाथी – इन्होने एकनाथ मठ की स्थापना की जो 20वीं शताब्दी तक महत्वपूर्ण बना रहा।


सिद्ध कितने हैं?

सिद्धों की संख्या 84 मानी गई है परन्तु इनके नामो में भी भेद है। जोधपुर, चीन इत्यादि के चौरासी सिद्धों में भिन्नता है। योगिक साहित्य के अनुसार 84 सिद्ध इस प्रकार हैं।

संख्यानामसंख्यानाम
1सिद्ध चर्पटनाथ43भावनाथ
2कपिलनाथ44पाणिनाथ
3गंगानाथ45वीरनाथ
4विचारनाथ46सवाइनाथ
5जालंधरनाथ47तुकनाथ
6श्रंगारिपाद48ब्रहमनाथ
7लोहिपाद49शीलनाथ
8पुण्यपाद50शिवनाथ
9कनकाई51ज्वालानाथ
10तुष्काई52नागनाथ
11कृष्णपाद53गम्भीरनाथ
12गोविन्द नाथ54सुन्दरनाथ
13बालगुंदाई55अमृतनाथ
14वीरवंकनाथ56चिडियानाथ
15सारंगनाथ57गेलारावल
16बुद्धनाथ58जोगरावल
17विभाण्डनाथ59जगमरावल
18वनखंडिनाथ60पूर्णमल्लनाथ
19मण्डपनाथ61विमलनाथ
20भग्नभांडनाथ62मल्लिकानाथ
21धूर्मनाथ63मल्लिनाथ
22गिरिवरनाथ64रामनाथ
23सरस्वती नाथ65आम्रनाथ
24प्रभुनाथ66गहिनीनाथ
25पिप्पनाथ67ज्ञाननाथ
26रत्ननाथ68मुक्तानाथ
27संसारनाथ69विरूपाक्षनाथ
28भगवन्त नाथ70रेबांणनाथ
29उपन्तनाथ71अडबंगनाथ
30चन्दननाथ72धीरजनाथ
31तारानाथ73घोड़ीचोली
32खार्पूनाथ74पृथ्वीनाथ
33खोचरनाथ75हंसनाथ
34छायानाथ76गैबीनाथ
35शरभनाथ77मंजूनाथ
36नागार्जुननाथ78सनकनाथ
37सिद्ध गोरिया79सनन्दननाथ
38मनोमहेशनाथ80सनातननाथ
39श्रवणनाथ81सनत्कुमारनाथ
40बालकनाथ82नारदनाथ
41शुद्धनाथ83नचिकेता
42कायानाथ84कूर्मनाथ


चौरासी सिद्ध जगत को प्रकाशित करते हैं, गोरख ने कहा, यह सतत प्रक्रिया है, योगी योग, मुक्ति को जागृत करते हैं; जब हम "गुरु" शब्द कहते हैं, तो अनाहत-नाद प्रकट होता है। हमारी रक्षा करो, शम्भूजाति गुरु गोरक्षनाथ जी! 

ये 9 नाथों और 84 सिद्धों के नाम हैं, इनके जाप से जल में अग्नि प्रकट होगी, अग्नि में आकाश (अंबर) प्रकट होगा, आकाश में वायु फैलेगी। ये योगी बिना पंखों के तारों के बीच उड़ते हैं और पानी पर चलते हैं, ये योगी आग में नहीं जलते - जिन्हें शंभूजाति गुरु गोरक्षनाथ जी ने बचाया था। महान श्री नाथाजी गुरुजी को आदेश!



GURUDEV SANTOSH TRIPATHI

आम इंसान की समस्‍याओं और चिंताओं की नब्‍ज पकड़कर बाजार में बैठे फर्जी बाबा और ढोंगी लोग ज्‍योतिष के नाम पर ठगी के लिए इस प्रकार के दावे करते हैं। ज्‍योतिष विषय अपने स्‍तर पर ऐसा कोई दावा नहीं करता।

Post a Comment

Previous Post Next Post