बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (Baglamukhi Ashtottar Shatnam Stotram)

 

बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotram) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

माता सती के द्वारा अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने की अनुमति लेते समय उन्होंने शिवजी को अपना प्रभाव दिखाने के उद्देश्य से दस महाविद्याओं को प्रकट किया था जिसमे से आठवीं महाविद्या बगलामुखी माता थी। माता बगलामुखी के द्वारा हमारे शत्रुओं का नाश किया जाता है तथा वाकशुद्धि भी की जाती है। ऐसे में भक्तों के द्वारा बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (Baglamukhi Ashtottar Shatnam Stotram) का पाठ किया जाना बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है।

बगलामुखी स्तोत्र हिंदी में (Baglamukhi Stotra In Hindi)

ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी, माता श्रीबगलामुखी।
चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च, ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी॥

ब्रह्मास्त्र का रूप लिए हुए श्री बगलामुखी मातारानी, आपकी जय हो। आप ही हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करने वाली और हमें ज्ञान व रूप प्रदान करने वाली देवी हो। आपके द्वारा ही हमें परम आनंद की प्राप्ति होती है।

महा-विद्या महा-लक्ष्मी श्रीमत् -त्रिपुर-सुन्दरी।
भुवनेशी जगन्माता, पार्वती सर्व-मंगला॥

आप ही महाविद्या, महालक्ष्मी, श्री व त्रिपुरसुंदरी हो। आप ही माता भुवनेश्वरी के रूप में इस जगत की माता हो और पार्वती माता के रूप में हम सभी का मंगल करती हो।

ललिता भैरवी शान्ता, अन्नपूर्णा कुलेश्वरी।
वाराही छिन्नमस्ता च, तारा काली सरस्वती॥

आप ही ललिता, भैरवी, शांता, अन्नपूर्णा, कुलेश्वरी, वाराही, छिन्नमस्ताताराकाली व सरस्वती माता हो।

जगत् -पूज्या महा-माया, कामेशी भग-मालिनी।
दक्ष-पुत्री शिवांकस्था, शिवरुपा शिवप्रिया॥

आप ही महामाया के रूप में इस जगत में पूजी जाती हो। आप ही कामेशी के रूप में ईश्वर की संगिनी हो। आप ही दक्ष की पुत्री सती रूप में शिव की पत्नी हो। आप शिव का भी रूप हो और शिव को प्रिय भी हो।

सर्व-सम्पत्-करी देवी, सर्व-लोक वशंकरी।
वेद-विद्या महा-पूज्या, भक्ताद्वेषी भयंकरी॥

आप ही सभी का काम बनाने वाली और सभी को अपने वश में करने वाली देवी हो। जो भी वेद पढ़कर और उससे विद्या को ग्रहण कर आपकी पूजा करता है, आप उसके सभी तरह के भय को दूर कर देती हैं।

स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च, दुष्ट-स्तम्भन-कारिणी।
भक्त-प्रिया महा-भोगा, श्रीविद्या ललिताम्बिका॥

आप सभी तरह की रूकावट को रोक देती हैं और दुष्टों का नाश कर देती हैं। आप अपने भक्तों को प्रिय हैं और वे आपको महाभोग लगाते हैं। आप ही श्रीविद्या व ललिता हो।

मेना-पुत्री शिवानन्दा, मातंगी भुवनेश्वरी।
नारसिंही नरेन्द्रा च, नृपाराध्या नरोत्तमा॥

आप ही मैना की पुत्री शिवनंदा हो। आप ही मातंगी, भुवनेश्वरी, नारसिंही, नरेंद्रा, नृपाराध्या व नरोत्तमा माँ का रूप हैं।

नागिनी नाग-पुत्री च, नगराज-सुता उमा।
पीताम्बरा पीत-पुष्पा च, पीत-वस्त्र-प्रिया शुभा॥

आप ही नाग की पुत्री नागिनी हो, नागराज की सुता उमा हो, पीले पुष्प में पीताम्बरा देवी हो तो वहीं पीले रंग के वस्त्र आपको बहुत शोभा देते हैं।

पीत-गन्ध-प्रिया रामा, पीत-रत्नार्चिता शिवा।
अर्द्ध-चन्द्र-धरी देवी, गदा-मुद्-गर-धारिणी॥

पीले रंग की वस्तुओं की गंध आपको प्रिय है, पीले रंग के रत्न ही आपने पहने हुए हैं, आपने सिर पर चन्द्रमा के आकार का मुकुट पहना हुआ है और हाथों में गदा, मुद्गर धारण किये हुए हैं।

सावित्री त्रि-पदा शुद्धा, सद्यो राग-विवर्द्धिनी।
विष्णु-रुपा जगन्मोहा, ब्रह्म-रुपा हरि-प्रिया॥

आप ही सावित्री के रूप में शुद्धि की परिचायक हो, सद्यो के रूप में राग की देवी हो, विष्णु रूप में जगत का मन मोह लेती हो तो वहीं ब्रह्म रूप में हरि को प्रिय हो।

रुद्र-रुपा रुद्र-शक्तिद्दिन्मयी भक्त-वत्सला।
लोक-माता शिवा सन्ध्या, शिव-पूजन-तत्परा॥

आपका एक रूप रूद्र भी है जिसमे आप दुष्टों का नाश कर देती हो।। आप ही इस जगत की माता हो और आप ही शिव हो। आपकी पूजा करने को तो शिव भी तैयार रहते हैं।

धनाध्यक्षा धनेशी च, धर्मदा धनदा धना।
चण्ड-दर्प-हरी देवी, शुम्भासुर-निवर्हिणी॥

आप ही धन व धर्म की देवी हो और यह सब आप ही प्रदान करती हो। आपने ही अपने रोद्र रूप में चंड-मुंड व शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध कर दिया था।


राज-राजेश्वरी देवी, महिषासुर-मर्दिनी।
मधु-कैटभ-हन्त्री च, रक्त-बीज-विनाशिनी॥

आप ही राजेश्वरी देवी हो और आपने ही महिषासुर का वध कर दिया था जिसके बाद आपका एक नाम महिषासुर मर्दिनी पड़ा था। आपने ही मधु-कैटभ व रक्तबीज नामक राक्षसों का संहार किया था।

धूम्राक्ष-दैत्य-हन्त्री च, भण्डासुर-विनाशिनी।
रेणु-पुत्री महा-माया, भ्रामरी भ्रमराम्बिका॥

आपने ही धूम्र व भंडासुर राक्षसों को मार डाला था। आप ही रेणु की पुत्री के रूप में महामाया हो और भ्रामरी रूप में हर जगह व्याप्त हो।

ज्वालामुखी भद्रकाली, बगला शत्र-ुनाशिनी।
इन्द्राणी इन्द्र-पूज्या च, गुह-माता गुणेश्वरी॥

आप ही ज्वाला, भद्रकाली माता हो और बगलामुखी के रूप में शत्रुओं का नाश करती हो। आप ही इन्द्राणी हो जिसकी इंद्र देव पूजा करते हैं और आप ही गुह की माता गुणेश्वरी हो।

वज्र-पाश-धरा देवी, जिह्वा-मुद्-गर-धारिणी।
भक्तानन्दकरी देवी, बगला परमेश्वरी॥

आपने अपने हाथों में वज्र रूप में पाश पकड़ा हुआ है और राक्षसों व दुष्टों की जीभ को पकड़ने के लिए मुद्गर लिया हुआ है। हे बगलामुखी माता व परमेश्वरी देवी!! आप अपने भक्तों को आनंद प्रदान कीजिये।

॥ फल श्रुति ॥

अष्टोत्तरशतं नाम्नां, बगलायास्तु यः पठेत्।
रिप-ुबाधा-विनिर्मुक्तः, लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात्॥

आपके तो 108 नाम हैं और उनमें से बगलामुखी नाम का पाठ हम यहाँ कर रहे हैं। इस रूप में आप हमारे शत्रुओं का नाश कर देती हो और हमारे घर में धन-संपदा लेकर आती हो।

भूत-प्रेत-पिशाचाश्च, ग्रह-पीड़ा-निवारणम्।
राजानो वशमायाति, सर्वैश्वर्यं च विन्दति॥

माँ बगलामुखी भूत, प्रेत, पिशाच, ग्रह कलेश इत्यादि सभी बाधाओं को दूर कर देती हैं और राजा को भी माया के वश में ले आती हैं। उनका यश तो हर जगह फैला हुआ है और हम उनकी वंदना करते हैं।

नाना-विद्यां च लभते, राज्यं प्राप्नोति निश्चितम्।
भुक्ति-मुक्तिमवाप्नोति, साक्षात् शिव-समो भवेत्॥

माँ बगलामुखी की पूजा करने से हम अनेकों तरह की विद्या को प्राप्त करते हैं। उससे हम राज्य तक पा सकते हैं अर्थात राजा बन सकते हैं। जो भी माँ बगलामुखी की पूजा करता है और उनकी भक्ति में रम जाता है, उसे तो मुक्ति मिल जाती है और वह शिव को पा लेता है।

बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotram) – महत्व

माँ बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या माना जाता है जिनकी पूजा गुप्त नवरात्रों में की जाती है। अब यह गुप्त नवरात्र 10 दिनों के होते हैं जिनमें मातारानी के 10 भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है। तो इन सभी रूपों में से माता बगलामुखी की महत्ता सबसे अधिक है क्योंकि उन्हें शत्रुओं का नाश करने वाली प्रमुख देवी का दर्जा प्राप्त है।

मां बगलामुखी स्तोत्र को मुख्यतया बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के नाम से ही जाना जाता है। माँ बगलामुखी स्तोत्र के माध्यम से हमें बगलामुखी माता के गुणों, महत्व, शक्तियों तथा उद्देश्य के बारे में बताया गया है और यही बगलामुखी माता के स्तोत्र का महत्व होता है। ऐसे में हर किसी को प्रतिदिन बगलामुखी माता स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र पाठ के लाभ (Bagalamukhi Stotram Benefits In Hindi)

अब आपको साथ के साथ माँ बगलामुखी स्तोत्र के लाभ भी जान लेने चाहिए। इसका एक मुख्य लाभ तो आपने जान ही लिया है जिसके तहत हमारे शत्रुओं का नाश हो जाता है किन्तु यहाँ शत्रु के साथ-साथ संकटों का नाश करने के लिए भी बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ किया जाता है। एक तरह से कहा जाए तो यदि व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार का संकट आ खड़ा हुआ है और उसे इस संकट का कोई उपाय नहीं मिल रहा है तो ऐसी स्थिति में बगलामुखी मां के स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है।


मां बगलामुखी के स्तोत्र का एक अन्य लाभ यह भी मिलता है कि इससे व्यक्ति की वाक् शुद्धि होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि किसी व्यक्ति को बोलने में कोई परेशानी, तुतलाहट, उच्चारण में गलतियाँ, अटकने या हकलाने की समस्या हो तो यह सब माँ बगलामुखी के आशीर्वाद और उनके स्तोत्र के पाठ से ठीक हो जाती है।




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GURUDEV SANTOSH TRIPATHI

आम इंसान की समस्‍याओं और चिंताओं की नब्‍ज पकड़कर बाजार में बैठे फर्जी बाबा और ढोंगी लोग ज्‍योतिष के नाम पर ठगी के लिए इस प्रकार के दावे करते हैं। ज्‍योतिष विषय अपने स्‍तर पर ऐसा कोई दावा नहीं करता।

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