सभी देवी- देवताओं की तस्वीर में हम उनके पीछे एक उर्जाचक्र देखते हैं। इसे ही उनका आभामण्डल या औरा कहते हैं। यह आभामण्डल जीवों के इर्द-गिर्द एक प्रकाश पुंज की तरह रहता है।
प्रत्येक मनुष्य का अपना एक औरा या आभामण्डल होता है। यह आभा मनुष्य के संपूर्ण शरीर से उत्सर्जित होती रहती है। इस प्रभामंडल का संचालन हमारे शरीर के 7 चक्र करते है। इसे देखकर और उसमें जरूरत के अनुसार बदलाव लाकर हम तात्कालिक समस्याओ से निजात पा सकते हैं।
इसको संचालित करने वाले चक्र हैं-
1. मूलाधार चक्र- इसका रंग लाल है और इसका सम्बन्ध हमारी शारीरिक अवस्था से होता है, इस चक्र के ऊर्जा तत्व में असंतुलन से रीढ़ की हड्डी में दर्द होना, रक्त और शारीरिक प्रक्रियाओ पर गहरा असर डालता है।
2. स्वाधिष्ठान चक्र- इसका रंग नारंगी है और इसका संबन्ध प्रजनन अंगों से है। इस चक्र के ऊर्जा असंतुलन के कारण इंसान के आचरण, व्यवहार पर असर पडता है।
3.मणिपुर चक्र- इसका रंग पीला है और यह बुद्धि और शक्ति का निर्धारण करता है, इस चक्र में असंतुलन के कारण व्यक्ति अवसाद मे चला जाता है, दिमागी स्थिरता नही रह जाती।
4. अनाहत चक्र- इसका रंग हरा है ।इसके असंतुलित होने के कारण, इंसान का भाग्य साथ नही देता, पैसों की कमी रहती है। श्वसन तंत्र के रोग का सामना करना पड़ सकता है।
5. विशुद्ध चक्र- इसका रंग हल्का नीला है और इसका सम्बन्ध गले और वाणी से होता है।इसमें असंतुलन के कारण वाणी मे ओज नही रह पाता।
6. आज्ञा चक्र - गहरा नीले रंग का ये चक्र दोनो भवों के बीच मे तिलक लगाने की जगह पर स्थित है। इसका सम्बन्ध मस्तिष्क से है। इस चक्र को सात्विक ऊर्जा का द्वार भी मानते हैं। सीधे आज्ञा चक्र पर ऊर्जा देने से सभी चक्रों को संतुलन मे लाया जा सकता है।
7. सहस्रार चक्र- सफेद रंग के सौ दलों में सजा ये चक्र मुख्य है। कुंडलिनी शक्ति जागरण मे इस चक्र की अहम भूमिका है।
योग के माध्यम से व्यक्ति का औरा अर्थात आभामंडल भी सकारात्मक हो उठता है। प्रभामंडल को ऊर्जावान करके शरीर के सभी विकारों को दूर किया जा सकता है।
मोबाईल, फ्रीज, एसी, टी.वी., कंप्यूटर आदि अन्य विद्युत उपकरणों से मैग्नेटिक ऊर्जा निकलती है जो हमें नुकसान पहुंचाती रहती है। धीरे-धीरे इस ऊर्जा का प्रभाव हमारे शरीर व मन-मस्तिष्क पर होता रहता है। नकारात्मक ऊर्जा का एक कारण वास्तु दोष भी है।
आभामण्डल के कमजोर होते ही व्यक्ति में सोचने-समझने की शक्ति भी क्षीण हो जाती है। आभा मण्डल के विकास के लिए हम धार्मिक स्थानों पर नियमित पूजा-पाठ, मन्त्रोच्चार, सत्संग आदि कर सकारात्मक हो सकते हैं। वहीं नकारात्मक साहित्य, तामसिक जीवनशैली , यह आभा मण्डल का ह्रास करते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति के औरा या आभामंडल का रंग उसके ओजसरंग पर निर्भर करता है ।यह त्वचा की निजी विशेष चमक होती है जो प्रत्येक मनुष्य की अलग अलग होती है । जो उसके अनुवांशिक गुंणों और निजी विचारों पर निर्धारित किया करती है ।
औरा के पाँच मुख्य रंग हैं ,इसके अलावा इन मुख्य पाँचों रंगों के कयीई अनेक उपम रंग बनते हैं जो पारखी की दृष्टि बारीक होने पर पारखी को दिखाई देते हैं जैसे शुक्ल वर्ण में पीला रंग अधिक होने पर या हरा रंग अधिक होने पर या लाल रंग जुड़े होने पर पीले पके आम जैसा , पके अमरूद के पीले रंग जैसा या पीला नारंगी रंग का दिखाई देता है ।
औरा में मौजूद रंग
आप कैसे खुद के आभामण्डल को जान सकते हैं इसके लिए इसका सही ज्ञान होना आवश्यक है। यदि आप अपने आभामण्डल को पहचान पाएंगे तो आप किसी के भी आभामण्डल को विस्तारित करने के योग्य होंगे। जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है कि हमारे औरा में मौजूद रंग ही उस आभामण्डल को परिभाषित करते हैं, तो आइए जानें कौन से रंग क्या कहते हैं:
लाल रंग
यदि आपको आभामण्डल का रंग लाल या गहरा प्रतीत हो है तो इसका मतलब है कि वह इंसान बहुत जल्दी क्रोधित हो जाता है। ऐसे इंसान जब गुस्से में होते हैं तो वे नहीं जानते कि वे क्या बोल रहे हैं। इनके गुस्से की कोई सीमा नहीं होती और जब वे क्रोधित होते हैं तो कुछ भी सोचते-विचारते नहीं हैं।
नारंगी रंग
यदि किसी व्यक्ति का आभामण्डल आपको नारंगी रंग का लगता है तो ऐसे लोग रचनात्मक स्वभाव के होते हैं। इन्हें भावनात्मक भी माना जाता है। अगला रंग है पीला यह बुद्धिमानी का प्रतीक है।
पीला रंग
कहते हैं जिस व्यक्ति के आभामण्डल में पीले रंग का आभास हो उनका मस्तिष्क काफी सचेत रहता है, लेकिन यदि यही पीला रंग गहरा हो जाए तो यह अच्छा संकेत नहीं है।
हरा रंग
इसके बाद आभामण्डल में यदि हरा रंग दिखाई दे तो ऐसा इंसान काफी शांत स्वभाव का होता है। एक बाग में दिखने वाली हरियाली की तरह ही ऐसे इंसान के चेहरे पर आप संतुष्टि देख सकते हैं।
काला रंग
परंतु आभामण्डल में काला रंग दिखाई दे तो यह जीवन की असंतुष्टि की व्याख्या करता है। ऐसे लोग जीवन में खुश नहीं होते। इनका मानसिक स्वास्थ्य भी स्थिर नहीं रहता।
नीला रंग
यानी कि परेशानियां इनके जीवन का एक विशेष भाग बनकर बैठी हैं। माना जाता है कि काले आभामण्डल वाले लोग ही नशीले पदर्थों का सबसे ज्यादा सेवन करते हैं। लेकिन दूसरी ओर यदि किसी इंसान के आभामण्डल में नीले रंग की छाया नज़र आए तो यह सबसे अच्छा रंग माना जाता है।
हमारे शरीर में पांच तरह के सूक्ष्म शरीर सदृश्य और शरीर होते है जिन्हें कोष कहा जाता है जो
- अन्नमय कोश - अन्न तथा भोजन से निर्मित, शरीर और मस्तिष्क ।
- प्राणमय कोश - प्राणों से बना हुआ ।
- मनोमय कोश - मन से बना हुआ ।
- विज्ञानमय कोश - अन्तर्ज्ञान या सहज ज्ञान से बना हुआ ।
- आनंदमय कोश - आनन्दानुभूति से बना हुआ ।
इन्ही कोषों को हम जब ध्यान साधना के द्वारा जागृत, करते है तब हमारे शरीर में से एक अलग तरह की ऊर्जा प्रस्फुटित होती हुई सी दिखाई देती है ।
हर इंसान जो ध्यान साधना नही करता है उसका भी अपना आभामंडल होता है किंतु उसमें उस इंसान के स्वभाव तथा बर्ताव अनुरूप रंग आ जाते है । किसी साधक का आभामंडल गहरे रंग से हल्का होते हुए सफेद की तरफ बढ़ने लगता है , क्योंकि उनके मनोविकारों में साधना से कमी आने लगती है ।
आभामंडल कैसे पहचाने :-
आभामंडल को सामान्यतौर पर पहचाना नही जा सकता है । इसे देखने के लिए या तो आपके अंदर एक तरह की खास क्षमता होनी चाहिए या फिर आपने वह क्षमता निर्माण की हुई होनी चाहिए वरना हम ऊर्जा के इस खेल को आसानी से नही समझ पाते है ।
इस विद्या या ज्ञान को जब हम समझने लगते है तब हमें हर इंसान के शरीर से लिपटा एक ऊर्जा वलय दिखने लगता है साथ ही उसके अलग अलग रंग भी दिखने लगते है ।
इन अलग अलग रंगों का अपना महत्व तथा अर्थ भी होता है जैसा रंग उस प्रवृत्ति का वह इंसान होता है । या फिर जैसी जिसकी प्रवृत्ति वैसेही उसके आभामंडल का रंग नियत होता है ।
जैसे :-
- लाल रंग का आभामंडल हो तो गुस्सैल स्वभाव का इंसान ।
- काले रंग का आभामंडल तो गुनाहगार स्वभाव का व्यक्ति ।
इन रंगों से उस इंसान या हर चीज की प्रवृत्ति या प्रकृति के बारे में जाना जा सकता है ।
आभामंडल को देखने की क्षमता पाना भी लगभग आसान है । बस आपके अंदर उसे पाने के प्रति लगन होना भी उतनाही जरूरी है । जब तक आप उस क्षमता को नही पा लेते तब तक किसी को भी साफ तौर पर इसको पहचान पाना कठिन कार्य होता है ।
कोई साधक जब दीर्घकाल तक ध्यान साधना करता है उसका आभामंडल कुछ सेंटीमीटर से बढ़ता हुआ जाता है जो कई कई किलोमीटर तक भी फैलता जाता है । जिनका आभामंडल जितना ज्यादा बड़ा तथा गहरा स्वच्छ सफेद हो वह इंसान अपने इच्छा शक्ति के बल पर दुनियाँ का कोई भी कार्य बड़े आसानी से कर पाने में सक्षम बन जाता है । यह उस इंसान की अद्वितीय क्षमता होती है ।
जब आप बहुत सकारत्मक होते हैं, अध्यात्म से जुड़ते हैं, मानव से महामानव बनने लगते हैं, आत्मा परमात्मा शरीर मन अन्तःकरण, सुक्ष्म शरीर, भौतिक शरीर, कारण शरीर सब का मतलब और फर्क मेहसूस करना शुरू करते हैं और उसी अनुरूप ख़ुद को ढालना शुरू करते हैं तब आपके भीतर ऐसी ऊर्जा पैदा होती है, जो शरीर के पांचो कोष अन्न कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष और सबसे अंत में आनंदमय कोष को क्रमश पार करते ऊपर ब्रह्म छिद्र से बाहर आती है और आपके शरीर के चारो ओर एक घेरा सा बनाती है( जिसे आप किसी भगवान के फोटो में सिर के चारो ओर चक्र रूप मे चमकीला देखते हैं)। ये घेरा आपको खुद पता नहीं चलेगा न दिखेगा, पर आपके सम्पर्क में जो व्यक्ति आएगा उसे आपका साथ आपकी बात आपका सभी चीज़ बहुत अच्छा लगेगा। वो खुद को आपके आकर्षण में पाएगा। उसे एक सुकून सा मेहसूस होगा जब आपके नजदीक जाएगा। ये प्रभावशाली औरा हुआ।
ये हमारा प्रभामंडल है, जो हमारे कर्मों के अनुसार नकारत्मक या सकारत्मक हो सकता है, जिसके वज़ह से ही आप बिना वज़ह किसी के नजदीक जाना चाहेंगे या दूर। ये aura नष्ट नहीं होती, जन्मों जन्मों तक हमारे साथ चलते रहती है और जब संसार के प्रति हमारे कर्म खत्म हो जाते हैं तो खुद मे आत्मा को विलीन कर परमात्मा से मिल जाती है।
इसे शक्तिशाली बनाने के लिए आप ईश्वर सदृश बनने का प्रयास हमेशा करे। गायत्री मंत्र जाप, महा मृत्युंजय मंत्र जाप औरा को प्रभावशाली बनाते हैं 🙏 🙏 🙏
औरा और आभामंडल को शुद्ध कैसे करें ?
सामान्यतः अपना औरा या आभामण्डल को शुद्ध रखना इतना सरल नही होता है ,किंतु असम्भव भी नही है ।लगातार प्रयास से हम इसे सम्भव बना सकते हैं अर्थात अपना आभामण्डल शुद्ध किया जा सकता है।
आज भी हम देखते हैं कई लोगो के मुख पर एक अजीब सा तेज होता है।जिसके आकर्षण में कई लोग खिंचे से चले आते है।उनका सानिध्य हमे प्रिय लगता है।उनका व्यवहार चुंबकीय होता है ।यदि हम उन पर गौर करें तो पाएंगे उनकी जीवन शैली में सरलता,सहज रूप से विध्यमान होगी,उनकी सोच में सकारात्मकता,विचारों में मोह के प्रति निर्लिप्तता आध्यात्मिकता सकारात्मक चिंतन इत्यादि दृष्टिगोचर होता है।तो यदि हम कोशिश करें इन सभी बिंदुओं को अपने जीवन मे आत्मसात करने की तो हम भी अपना आभामण्डल को शुद्ध और तेजोमय बना सकते हैं।
सकारात्मक पुष्टि। जैसा कि आप शारीरिक गंदगी को धोने के लिए स्नान कर सकते हैं, आप नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए सकारात्मक विचारों में खुद को और अधिक आशावादी विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति दे सकते हैं।
ध्यान। आपको अपने भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समय बिताना होगा जो आपकी आभा को अधिक जीवंत बना सकता है।
दृश्य. अपने आप कोcleaning की कल्पना करते हुए अपनी आभा को सकारात्मक ऊर्जा में सांस लेते हुए और नकारात्मक प्रकाश को बाहर निकालते हुए अपनी आभा को साफ करने के लिए खुद को देखें
हवन। हवन समग्री के साथ हवन करना एक प्राचीन परंपरा है जिसका उपयोग कमरे या नकारात्मक ऊर्जा वाले लोगों को साफ करने के लिए किया जाता है।
ऊर्जा संतुलन और उपचार। बेहतर शिक्षक आपको ऊर्जा असंतुलन के स्रोत का पता लगाने में मदद करेंगे और आपको सकारात्मक ऊर्जा के लिए प्रशिक्षण देंगे लेकिन नकली और अप्रशिक्षित व्यक्ति से सावधान रहें जो केवल पैसे कमा रहे हैं।