राहु धुआं हैं, राहु भ्रमणा हैं, राहु अपूर्त इच्छाएं हैं, राहु भोग विलास चाहता हैं। राहु जिस भाव में हो, जिस ग्रह के साथ हो या जिस राशि में स्थित हो उस तरह का फल देता हैं।
- राहु चंद्र के साथ हैं तो मन बिगाड़ता हैं।
- राहु बुध के साथ हैं तो बुद्धि भ्रमित करता हैं।
- राहु शुक्र के साथ हैं तो जातीय विकृति देता हैं।
- राहु गुरु के साथ हैं तो चरित्र बिगाड़ता हैं।
- राहु मंगल के साथ हैं तो क्रूरता देता हैं।
- राहु शनि के साथ हैं तो शनि वायु हैं और राहु धुआं हैं वह जातक को एक जैसा फल देगा।
- राहु सूर्य के साथ हैं तो आत्मा को बिगाड़ता हैं। जातक को निस्तेज बना देता हैं।
अब आप के मूल सवाल का उत्तर।
राहु जिस ग्रह के साथ होता हैं ऐसा फल देता हैं। राहु की महादशा में जिस ग्रह की अंतर्दशा होगी उसी हिसाब से फल देगा। और अगर किसी ग्रह में राहु की अंतर्दशा आएगी तो वह ग्रह के शुभ फल में विघ्न डालेगा और पूर्ण फल नहीं देने देगा।
जातक की इंट्यूशन का संबंध आठवें भाव से हैं। और वो राहु से नहीं लेकिन केतु से मिलती हैं। केतु ओकल्ट (अगम निगम) विद्या का कारक हैं। जिसकी कुंडली में आठवें भाव में केतु होगा उनको ये ज्ञान अवश्य मिलेगा।
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राहु क्या है?