प्रेत शक्ति
प्रेत बाधा का अर्थ मनुष्य के शरीर पर किसी भूत-प्रेत का साया पड़ जाना है। यह योग न केवल जातक को परेशान करता है अपितु उसके पूरे परिवार को भयभीत कर देता है। प्रेत बाधा में अदृश्य शक्तियां मनुष्य के शरीर पर कब्जा कर लेती हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में प्रेत बाधा योग बनने पर जातक को भूत-प्रेत से पीड़ा मिलती है।
प्रेत बाधा दोष के प्रभाव
प्रेत बाधा से पीडित व्यक्ति का व्यवहार असामान्य हो जाता है। उसके शरीर में नकरात्मक शक्तियां प्रवेश कर लेती हैं जिससे उसके लिए असामान्य काम भी संभव हो जाते हैं। प्रेत से पीड़ित जातक चीखता-चिल्लाता है, रोता है अथवा इधर-उधर दौड़ता रहता है। किसी को भी उसे वश में कर पाना अत्यंत मुश्किल हो जाता है। उसकी वाणी में कटुता साफ झलकती है। उसे भूख-प्यास नहीं लगती और वह तीव्र स्वर में सांसें लेता है।
प्रेत बाधा योग के प्रभाव में व्यक्ति के जीवन पर केवल नकारात्मक असर ही पड़ते हैं। वह स्वयं और दूसरों को हानि पहुंचाता है। उसे ऐसी चीजें दिखाई देती हैं जो अन्य किसी को नहीं दिखती जैसे उसे कोई घूर रहा है या उसे कोई मारना चाहता है आदि। कुंडली के विशेष योग बनने पर जातक प्रेत बाधा से पीडित होता है, जैसे -:
कुंडली में प्रथम भाव में चन्द्र के साथ राहु की युति होने पर एवं पंचम और नवम भाव में कोई क्रूर ग्रह स्थित हो तो उस जातक पर भूत-प्रेत, पिशाच या बुरी आत्माओं का प्रभाव रहता है। इसके अलावा गोचर के दौरान भी यही स्थिति रहने पर प्रेत बाधा से पीडित होना निश्चित है।
कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से किसी भी एक ग्रह के सप्तम भाव में होने पर जातक को भूत-प्रेतों से कष्ट मिलता है। ये जातक ऊपरी हवा आदि से परेशान रहते हैं।
इसके अलावा कुंडली में शनि, मंगल और राहु की युति होने पर व्यक्ति ऊपरी बाधा, प्रेत, पिशाच या भूत बाधा से परेशान रहता है।
प्रेत बाधा से पीड़ित मनुष्य की पहचान उसके व्यवहार और कार्यों में आए बदलाव के आधार पर की जा सकती है।
प्रेत बाधा योग से पीडित जातक का जीवन नरकीय हो जाता है। उसे भूख-प्यास नहीं लगती और मन में अशांति रहती है। इस बाधा के कारण व्यक्ति और उससे संबंधित सभी लोगों को भी कष्ट झेलने पड़ते हैं।
यदि व्यक्ति की कुण्डली में शनि और राहु लग्न में हों तो उसे प्रेत बाधा दोष कहते हैं | शनि एवं चन्द्रमा छटे भाव में हों और सप्तम भाव में राहु या केतु हों प्रेत बाधा होती है | इसी प्रकार राहु और चन्द्रमा लग्न में हों और त्रकोण में शनि मंगल हों तो प्रेत बाधा होती है |
इसमें भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने या दूर करने से संबंधित उपाय हम आपको आसान उपाय बताने जा रहे हैं...
ऐसे पता चलेगा कि घर में कोई भूत-प्रेत तो नहीं है!
कई बार किन्हीं कारणों से घर में भूत, प्रेत जैसी नेगेटिव शक्तियों का वास हो जाता है। ऐसे घरों में रहना और उन्हें बेचना बहुत मुश्किल हो जाता है। शास्त्रों में कुछ ऐसे लक्षण बताए गए हैं जिनके जरिए आप जान सकते हैं कि किसी स्थान पर कोई प्रेत शक्ति तो विद्यमान नहीं
ये लक्षण बताते हैं प्रेत बाधा के बारे में :-
- किसी मकान में रहने वाले परिवार में बहुत ज्यादा क्लेश और झगड़ों का होना प्रेत बाधा की निशानी माना जाता है।
- आप जब भी कोई मांगलिक कार्य या पूजा-पाठ जैसे धार्मिक आयोजन करना चाहते हैं तो इसमें नित नई बाधाएं आने लगती हैं।
- घर में सही आरती के समय पूजा के दीपक का अचानक ही बुझ जाना भी प्रेत होने का संकेत है।
- मकान में अचानक ही तेज बदबू या खुशबू का आना और फिर अचानक ही बंद भी हो जाना प्रेत बाधा का संकेत हो सकता है।
- परिवार का कोई एक सदस्य या सभी सदस्य लगातार बीमार रहते हों, डॉक्टर से दवा लेने के बाद भी फायदा न हों।
- अक्सर दूध गर्म करते समय उफन जाना भी प्रेत बाधा का लक्षण बताया गया है।
- घर में पैसा आए लेकिन वो उतनी ही तेजी से खर्च भी हो जाए, खूब पैसा होने के बाद भी आर्थिक तंगी बनी रहें।
- घर की चारदीवारी में अचानक ही छिपकली, कबूतर, तोते आदि जीवों का मरना, अथवा उनके मृत शरीर मिलना।
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