धनतेरस के दिन यमराज के नाम का दीपक क्यों जलाया जाता है?(yam ka deepak kyon jalate hain)

 

धनतेरस के दिन यमराज के नाम का दीपक क्यों जलाया जाता है?





धनतेरस के दिन यमराज ( yamraj ) के नाम का दीपक जानिये क्यू जलाते हे।

हिंदू संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाने वाला दिवाली का पांच दिवसीय त्योहार धनतेरस के त्योहार से शुरू होता है। इस बार धनतेरस 10 नवंबर और दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी. इस बार त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को है, इस दिन यम का दीपक जलाया जाएगा. धनतेरस की रात यम की पूजा के अलावा देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने की भी परंपरा है।

इस दिन रात्रि के समय दक्षिण दिशा में चौमुखा दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यम का दीपक जलाने का कारण क्या है? आज हम आपको धनतेरस पर यम दीपक जलाने की विधि और महत्व के बारे में बताएंगे।


यम ( yamraj ) का दीपक क्यों जलाया जाता है?


यम दीपक धनतेरस के दिन जलाया जाता है. इस दिन यम दीपक जलाने के पीछे पौराणिक कथा का जिक्र शास्त्रों में किया गया है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय हेम नामक का राजा राज करता था. कुछ समय बीतने के बाद उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई. राजा जब अपने पुत्र की कुंडली दिखाने के लिए ज्योतिषी के पास गए तो उसकी कुंडली से पता चला कि शादी के 4 दिन बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी.

ऐसे में राजा ने अपने पुत्र को ऐसे स्थान पर भेज दिया जिससे कि उस पर किसी स्त्री की परछाई भी ना पड़े. लेकिन राजकुमार उस स्थान पर शुभ मुहूर्त में एक राजकुमारी से विवाह कर लिया. कहते हैं कि विधि का विधान टाला नहीं जा सकता. शादी के बाद 4 दिन बाद उस राजकुमार को यमराज लेने के लिए आ गए.

यह देखकर राजकुमारी बहुत निराश हुई और बहुत रोई. यमदूत ने ये सारी बातें यमराज को बता दी और कहा कि हे महाराज ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे अकाल मृत्यु से मुक्ति पाई जा सके. तब यमराज ने कहा कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को जो कोई दक्षिण दिशा में मेरे नाम का दीपक जलाएगा, वह अकाल मृत्यु से मुक्त हो सकता है. यही वजह है कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यम के नाम का दीपक जलाया जाता है.

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यह देखकर राजकुमारी बहुत रोई। देवदूतों ने यमराज को ये सारी बातें बताईं और यम के दूतों में से एक ने पूछा, “हे यमराज, ऐसा कोई उपाय नहीं है जिससे मनुष्य को असामयिक मृत्यु से बचाया जा सके।” यमराजन ने उसे उत्तर दिया कि जो व्यक्ति कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया के दिन शाम के समय मेरी ओर से दक्षिण दिशा में दीपक जलाएगा, वह अकाल मृत्यु से बच जाएगा। इसी कारण से हर साल धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाने की परंपरा है।


कैसे बनाएं yamraj दीपक:

धनतेरस के दिन आटे का चौमुखा दीपक बनाएं या मिट्टी के दीपक के चारों ओर बत्तियां रखें और उसमें सरसों का तेल डालें। इसके बाद इस दीपक को घर की दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाएं। नीचे दिए गए इस मंत्र का भी जाप करें।

मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्।






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