दस महाविद्याओं में माँ षोडशी महाविद्या (Mahavidya Shodashi In Hindi) को तृतीय महाविद्या व काली कुल की अंतिम माँ के रूप में जाना जाता हैं। यह माता सती के दस रूपों में से तीसरा रूप हैं जो तीनों लोकों में सबसे अधिक सुंदर हैं। उनके इसी गुण के कारण माँ षोडशी का एक नाम त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari Mata ) भी हैं।
त्रिपुर सुंदरी माँ अपने भक्तों को सुंदर रूप देने के साथ-साथ स्वच्छ मन भी प्रदान करती हैं। आज हम आपको माँ षोडशी की साधना, कथा व महत्व इत्यदि के बारे में विस्तार से बताएँगे।
माँ त्रिपुर सुंदरी की कहानी (Shodashi Devi Story In Hindi)
यह कथा बहुत ही रोचक हैं जो भगवान शिव व उनकी प्रथम पत्नी माता सती से जुड़ी हुई हैं। हालाँकि उनकी दूसरी पत्नी माता पार्वती माँ सती का ही पुनर्जन्म मानी जाती हैं। षोडशी महाविद्या की कहानी के अनुसार, एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया था।
चूँकि राजा दक्ष भगवान शिव से द्वेष भावना रखते थे और अपनी पुत्री सती के द्वारा उनसे विवाह किये जाने के कारण शुब्ध थे, इसलिए उन्होंने उन दोनों को इस यज्ञ में नही बुलाया। भगवान शिव इस बारे में जानते थे लेकिन माता सती इस बात से अनभिज्ञ थी।
यज्ञ से पहले जब माता सती ने आकाश मार्ग से सभी देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों को उस ओर जाते देखा तो अपने पति से इसका कारण पूछा। भगवान शिव ने माता सती को सब सत्य बता दिया और निमंत्रण ना होने की बात कही। तब माता सती ने भगवान शिव से कहा कि एक पुत्री को अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नही होती है।
माता सती अकेले ही यज्ञ में जाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने पति शिव से अनुमति मांगी किंतु उन्होंने मना कर दिया। माता सती के द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी शिव नही माने तो माता सती को क्रोध आ गया और उन्होंने शिव को अपनी महत्ता दिखाने का निर्णय लिया।
तब माता सती ने भगवान शिव को अपने 10 रूपों के दर्शन दिए जिनमे से तीसरी देवी षोडशी थी। मातारानी के यही 10 रूप 10 महाविद्या कहलाए। अन्य नौ रूपों में क्रमशः काली, तारा,भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला आती हैं।
त्रिपुरसुंदरी महाविद्या का रूप (Tripura Sundari Mahavidya Sadhna Roop)
सर्वप्रथम एक आसन को भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्मा, शिव के ही दो अन्य रूप अपने सिर पर उठाए हुए हैं। अब उस आसन पर भगवान शिव आरामदायक मुद्रा में लेटे हुए हैं। उनकी नाभि से एक धागा निकल रहा हैं जिससे कमल का आसन बना हुआ हैं। इसी कमल के आसान पर माँ त्रिपुर सुंदरी विराजमान हैं।
माँ त्रिपुर सुंदरी का वर्ण सुनहरा हैं तथा वे लाल रंग के वस्त्र धारण किये हुए हैं। उनके शरीर पर तेज चमक हैं जो उनके द्वारा पहने गए कई तरह के आभूषणों के कारण भी हैं। उनके सिर पर एक मुकुट हैं तथा केश खुले हुए हैं। भगवान शिव के ही समान उनके भी तीन नेत्र हैं। माँ षोडशी के चार हाथ हैं जिसमें उन्होंने पुष्प रुपी पांच बाण, धनुष, अंकुश व फंदा पकड़ा हुआ हैं।
माँ षोडशी के अन्य नाम व उनका अर्थ (Shodashi Meaning In Hindi)
- षोडशी का अर्थ: माँ सती का यह रूप सोलह वर्ष का था। इसलिए उनका नाम षोडशी पड़ा।
- त्रिपुर सुंदरी का अर्थ: तीनों लोकों में सबसे सुंदर होने के कारण उन्हें त्रिपुरसुंदरी के नाम से भी जाना गया।
- राज राजेश्वरी का अर्थ: जो राजाओं का भी राजा हो अर्थात अविजित।
- ललिता का अर्थ: अत्यधिक सुंदर व आकर्षण से भरपूर।
इसके अलावा इन्हें लीलावती, कामाक्षी, कामेश्वरी, ललिताम्बिका, ललितागौरी इत्यादि नामो से भी जाना जाता हैं।
माँ षोडशी साधना मंत्र (Shodashi Mantra In Hindi)
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः।।
त्रिपुर सुंदरी साधना के लाभ (Shodashi Mahavidya Sadhana Benefits In Hindi)
यदि हम माँ त्रिपुरसुंदरी की पूजा करते हैं तो इससे हमे कई तरह के लाभ मिलते हैं। माँ षोडशी की पूजा करने से हमे सुंदर रूप की प्राप्ति होती हैं व वैवाहिक जीवन भी सुखमय बनता हैं। यदि आपको एक अच्छे जीवनसाथी की तलाश हैं तो अवश्य ही आपको माँ षोडशी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
इसके अलावा माँ षोडशी की साधना करने से हमारा मन जल्दी से विचलित नही होता तथा मन नियंत्रण में रहता है। यह हमारे मन को वश में करके उसे तृप्त करती हैं तथा उसे शांत करती है। माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा करने से हमे अपने मन को वश में करने, उसे इधर-उधर भटकने से रोकने व आत्मिक शांति में बहुत सहायता मिलती हैं।
देवी षोडशी महाविद्या की पूजा मुख्य रूप से गुप्त नवरात्रों में की जाती हैं। गुप्त नवरात्रों में मातारानी की 10 महाविद्याओं की ही पूजा की जाती हैं जिसमे से तीसरे दिन महाविद्या षोडशी की पूजा करने का विधान हैं।
देवी षोडशी से संबंधित अन्य जानकारी
- षोडशी देवी से संबंधित रुद्रावतार षोडेश्वर महादेव हैं।
- देवी षोडशी काली कुल की तीसरी व अंतिम देवी हैं।
- देवी षोडशी का शक्तिपीठ त्रिपुरा राज्य में स्थित हैं।