दस महाविद्याओं में बगलामुखी माता (Maa Baglamukhi In Hindi) आठवीं महाविद्या के रूप में जानी जाती हैं। माता सती के 10 रूपों में से माँ बगलामुखी (Baglamukhi Devi In Hindi) को आठवां रूप माना गया हैं। मातारानी का यह रूप शत्रुओं का नाश करने वाला व वाक् शक्ति प्रदान करने के रूप में जाना जाता हैं।
इस रूप में मातारानी एक मृत शरीर पर बैठी हुई अपने एक हाथ से राक्षस की जिव्हा पकड़े हुई हैं। आप भी मातारानी के ऐसे रूप को देखकर बगलामुखी माता की कहानी जानने को उत्सुक होंगे। इसलिए आज हम आपको देवी बगलामुखी के इतिहास, कथा, महत्व व साधना मंत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।
बगलामुखी माता की कहानी (Maa Baglamukhi Story In Hindi)
यह कथा बहुत ही रोचक हैं जो भगवान शिव व उनकी प्रथम पत्नी माता सती से जुड़ी हुई हैं। हालाँकि उनकी दूसरी पत्नी माता पार्वती माँ सती का ही पुनर्जन्म मानी जाती हैं। बगलामुखी महाविद्या की कहानी के अनुसार, एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया था।
चूँकि राजा दक्ष भगवान शिव से द्वेष भावना रखते थे और अपनी पुत्री सती के द्वारा उनसे विवाह किये जाने के कारण शुब्ध थे, इसलिए उन्होंने उन दोनों को इस यज्ञ में नही बुलाया। भगवान शिव इस बारे में जानते थे लेकिन माता सती इस बात से अनभिज्ञ थी।
यज्ञ से पहले जब माता सती ने आकाश मार्ग से सभी देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों को उस ओर जाते देखा तो अपने पति से इसका कारण पूछा। भगवान शिव ने माता सती को सब सत्य बता दिया और निमंत्रण ना होने की बात कही। तब माता सती ने भगवान शिव से कहा कि एक पुत्री को अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नही होती है।
माता सती अकेले ही यज्ञ में जाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने पति शिव से अनुमति मांगी किंतु उन्होंने मना कर दिया। माता सती के द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी शिव नही माने तो माता सती को क्रोध आ गया और उन्होंने शिव को अपनी महत्ता दिखाने का निर्णय लिया।
तब माता सती ने भगवान शिव को अपने 10 रूपों के दर्शन दिए जिनमे से आठवीं माँ बगलामुखी थी। मातारानी के यही 10 रूप दस महाविद्या कहलाए। अन्य नौ रूपों में क्रमशः काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, मातंगी व कमला आती हैं।
बगलामुखी का अर्थ (Baglamukhi Meaning In Hindi)
बगलामुखी शब्द दो शब्दों के मेल से बना हैं: बगला व मुखी। इसमें बगला शब्द संस्कृत के वल्गा का अपभ्रंश है जिसका अर्थ होता है लगाम लगाना। मुखी का अर्थ मुहं या चेहरा है। इस प्रकार बगलामुखी का मतलब किसी चीज़ पर लगाम लगाने वाले मुहं से है। मातारानी के इस रूप को शत्रुओं या दुष्टों पर लगाम लगाने के लिए पूजा जाता हैं।
बगलामुखी माता का रूप (Bagalamukhi Mata Ka Roop)
मातारानी का रूप भीषण होने के साथ-साथ अपने भक्तों की रक्षा करने वाला भी हैं। अपने इस रूप में मातारानी स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। इस सिंहासन पर राक्षस का मृत शरीर पड़ा हुआ हैं जिसके ऊपर मातारानी बैठी हुई हैं।
माँ बगलामुखी के सिर पर मुकुट हैं और केश खुले हुए हैं। उनके तीन नेत्र व दो हाथ हैं। शरीर का रंग सुनहरा हैं जबकि उन्होंने पीले रंग के वस्त्र व आभूषण धारण किये हुए हैं। उन्होंने अपने एक हाथ में शत्रु को दंड देने के लिए एक बेलन के समान अस्त्र पकड़ा हुआ हैं जबकि दूसरे हाथ से राक्षस की जीभ पकड़ी हुई हैं।
वह राक्षस मातारानी के सामने उनके चरणों में बैठा हुआ हैं जिसने अपने एक हाथ में तलवार पकड़ी हुई हैं। मातारानी ने उसी राक्षस की जीभ पकड़ी हुई हैं व उसकी ओर देखती हुई उसे डराने का प्रयत्न कर रही हैं।
बगलामुखी माता का रहस्य (Baglamukhi Mata Ki Kahani)
एक बार सौराष्ट्र में भयंकर तूफान ने बहुत तबाही मचाई थी। तब सभी देवताओं ने मातारानी से सहायता प्राप्ति की विनती की। यह देखकर मातारानी का एक रूप हरिद्र सरोवर से प्रकट हुआ और इस तूफान को शांत किया। उसके बाद से ही मातारानी का बगलामुखी रूप प्रचलन में आया।
माँ बगलामुखी मंत्र (Maa Baglamukhi Mantra)
बगलामुखी साधना मंत्र (Mata Bagalamukhi Devi Beej Mantra)
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः
बगलामुखी शत्रु विनाशक मंत्र (Devi Baglamukhi Shatru Nashak Mantra)
ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
बगलामुखी ध्यान मंत्र (Maa Baglamukhi Dhyan Mantra)
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा
बगलामुखी पूजा के फायदे (Baglamukhi Mantra Benefits In Hindi)
यदि आप बगलामुखी माता की पूजा करते हैं तो इससे आपको कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। देवी बगलामुखी की पूजा करने से हमे अपने शत्रुओं का नाश करने में सहायता मिलती हैं। माँ बगलामुखी का एक अन्य नाम स्तम्भन देवी भी हैं क्योंकि यह शत्रुओं व दुष्टों को अपंग बनाने में सहायक हैं।
इसलिए अपने शत्रुओं से मुक्ति पाने, विपत्ति को समाप्त करने व आगे का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से भक्तों के द्वारा माँ बगलामुखी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं व उन्हें प्रसन्न किया जाता हैं।
माता बगलामुखी महाविद्या की पूजा मुख्य रूप से गुप्त नवरात्रों में की जाती हैं। गुप्त नवरात्रों में मातारानी की 10 महाविद्याओं की ही पूजा की जाती हैं जिसमे से आठवें दिन महाविद्या बगलामुखी की पूजा करने का विधान हैं।
माँ बगलामुखी से संबंधित अन्य जानकारी
- माँ बगलामुखी पीले वस्त्र धारण करती हैं व इनका वर्ण भी पीला हैं। इसलिए इनका एक नाम पीताम्बरी देवी भी हैं।
- माँ बगलामुखी से संबंधित रुद्रावतार बग्लेश्वर महादेव हैं।
- माँ के तीन शक्तिपीठ हैं जो हिमाचल के कांगड़ा, मध्यप्रदेश के दतिया व शाजापुर में स्थित हैं।
- महाभारत के भीषण युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण व अर्जुन ने भी शत्रुओं पर विजय पाने के लिए देवी बगलामुखी की पूजा की थी।
- माँ हमारी वाक् शुद्धि भी करती हैं अर्थात उच्चारण में गलतियाँ, हकलाना या तुतलाहट इत्यादि माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से ठीक होते हैं।
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